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जिस संसार मे प्रत्येक कामना के पश्चात् नयी कामनाओ

जिस संसार मे प्रत्येक कामना के
 पश्चात् नयी कामनाओं
का उदय प्रतिपल
होता रहता है
वँहा तृप्ति
कैसे
संभव है।

©Jai Pathak
  #कामना