एक बाजार लगा महेब्बत का बडी जौरो से हुई । किसी को खरीदार अच्छा मिला। अपनी यारी चोरो से हुई। उसने हम को हमी से चुरा उसेने ग्रीबी खाश बताया उसे ने । लकिरे हाथ की बदली तो वक्त के साथ वो भी बदलगी! जिस दिन अलग हुए उस दिन मर जाऊगी! कहा करती ! महेब्बत मे हमारा गुस्सा भी सहा करती थी! परछाई बनकर साथ रहती थी॥ यही हमारी आधी कहानी थी ©Tarun tilwaliya महेब्बत #DearCousins