हकीकत से परे! ख्वाब में मेरे हकीकत से परे हो तुम, जहां मेरे ख्वाब से होते तुम , वहां मैं तुम्हें उतनी ही पसंद हूं, जितना यहां मुझे हो तुम , काश!ऐसी दुनिया होती, जहां मेरे ख्वाब हकीकत होते, वहां तुम मेरी परवाह उतनी ही करते हो जितनी यहां करती हूं मैं वहां हर एक बात बारीकी से कहती हूं, मैं जितना यहां बताने की करती हूं कोशिश, वहां सिर्फ मैं ही याद नहीं दिलाती तुम्हे अपनी , खुद ही याद करते हो तुम, काश!ऐसी भी कोई दुनिया होती जहां बस मेरे होते तुम! #दिव्या भंडारी हकीकत से परे