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मैं लेखनी हूं मैं लेखनी हूं, मुझको तुम मजाक ना स

 मैं लेखनी हूं
मैं लेखनी हूं, मुझको 
तुम मजाक ना समझो
हिल जाते अच्छे अच्छे
बेबस आवाज़ ना समझो
मैं लेखनी हूं......
स्वर हूं ,संवाद हूं, मंत्रो की धड़कन
मुझमें समाया हुआ सारा कण कण
मुझे पढ़, इतिहास के पन्नों में
खोखला अंदाज़ ना समझो
मैं लेखनी हूं ......
मैं वेद हूं, पुराण हूं, गीता का ज्ञान हूं
रामायण, महाभारत, मैं शब्दों की शान हूं
मुझ बिन किसी की होती
कोई परवाज़ ना समझो
मैं लेखनी हूं......
मैं ही दाता, विधाता ,मैं ही परमात्मा
हर व्यक्ति के अंदर बसने वाली आत्मा
मैं सृष्टि की  जननी हूं "सूर्य"
कोई मोहताज ना समझो
मैं लेखनी हूं......

©R K Mishra " सूर्य "
  #लेखनी