शहर मुंबई मे जो आया, इसे छोड़ वो जा ना पाया, ख़्वाबों को पूरा करना, हा इसने ही तो सीखलाया, चाहे दिन हो रात घनेरी, कोई भी ना घबराया, देख यहां की पुलिस को, अपराधी भी थार्राया, रुकता नहीं यहां पे कोई, लोगो ने ये बतलाया, तुमने, हमने और सभी ने,कुछ ना कुछ तो है पाया. "हरीश तन्हा" ©Harish Pandey #mumbaimerijaan#हरीशतन्हा