इक फ़साना-ए-फ़ुवाद फ़ाश करता हूँ। फ़लक और ज़मीन को पास करता हूँ। आब-ए-रवाँ नम करता रुख़सार मेरा! नाशीनास नालां सा एहसास करता हूँ। #कोराकाग़ज़ #उर्दुकीपाठशाला #collabwithकोराकाग़ज़ #आब_ए_रवाँ #पाठकपुराण #शुभरात्रि । दिल का एक किस्सा शुरू करता हूँ। आसमां को ज़मीन के पास करता हूँ। गालों को नम करता बहता हुआ पानी। अज्ञान भरे एहसास का विलाप करता हूँ।