Nojoto: Largest Storytelling Platform

वैसे तो लगती हैं कई ठोकरें जीवन भर हमें लगती रहती

वैसे तो लगती हैं कई ठोकरें

जीवन भर हमें लगती रहती हैं, बहुत सी ठोकरें अंजाने में, 
लेकिन लोगों को तो मजा आता है, कुछ खोकर पाने में ।
उनका क्या है, जिन्हें पहले से ही मिल गया है सबकुछ, 
अब उन लोगों को मजा आता है, केवल आनंद उठाने में ।

दुनिया में ना जाने सभी की, कितनी ज्यादा तकलीफ़ें और मजबूरियाँ हैं, 
लेकिन किसी को भी अब मजा नहीं आता, दूसरों का हाथ बटाने में ।
अब तो सब जीना सीख रहे हैं, अपने और अपने परिवार के लिए ही केवल, 
अब किसी दूसरे व्यक्ति की फिक्र कौन करता है, इस ज़ालिम मतलबी जमाने में ।

अब तो कोई भी इंसान नहीं बाँटना चाहता है, किसी दूसरे का दुःख - दर्द, 
चाहे किसी के घर में कोई भी व्यक्ति जी रहा हो, या मर रहा हो इस जमाने में ।
इस तरह एक - दूसरे से दूर होना तो, मानों पूरी मानवता से ही दूर होना है, 
लेकिन मानवता की खातिर, अब कौन काम करना चाहता है इस जमाने में ।

हम भी तो बैठे हैं ना जाने कब से, अपने किसी ख़ास के इंतज़ार में, 
कोई तो आकर हमसे मिल ले और हमें अपना बनाले इस जमाने में ।
उम्र भर लगती रहती हैं हर किसी को, बहुत सी ठोकरें अंजाने में,
लोग अपनी गलतियों से फिर भी, क्यूँ नहीं सीखना चाहते हैं इस जमाने में ।


- Devendra Kumar (देवेंद्र कुमार) # वैसे तो लगती हैं कई ठोकरें
वैसे तो लगती हैं कई ठोकरें

जीवन भर हमें लगती रहती हैं, बहुत सी ठोकरें अंजाने में, 
लेकिन लोगों को तो मजा आता है, कुछ खोकर पाने में ।
उनका क्या है, जिन्हें पहले से ही मिल गया है सबकुछ, 
अब उन लोगों को मजा आता है, केवल आनंद उठाने में ।

दुनिया में ना जाने सभी की, कितनी ज्यादा तकलीफ़ें और मजबूरियाँ हैं, 
लेकिन किसी को भी अब मजा नहीं आता, दूसरों का हाथ बटाने में ।
अब तो सब जीना सीख रहे हैं, अपने और अपने परिवार के लिए ही केवल, 
अब किसी दूसरे व्यक्ति की फिक्र कौन करता है, इस ज़ालिम मतलबी जमाने में ।

अब तो कोई भी इंसान नहीं बाँटना चाहता है, किसी दूसरे का दुःख - दर्द, 
चाहे किसी के घर में कोई भी व्यक्ति जी रहा हो, या मर रहा हो इस जमाने में ।
इस तरह एक - दूसरे से दूर होना तो, मानों पूरी मानवता से ही दूर होना है, 
लेकिन मानवता की खातिर, अब कौन काम करना चाहता है इस जमाने में ।

हम भी तो बैठे हैं ना जाने कब से, अपने किसी ख़ास के इंतज़ार में, 
कोई तो आकर हमसे मिल ले और हमें अपना बनाले इस जमाने में ।
उम्र भर लगती रहती हैं हर किसी को, बहुत सी ठोकरें अंजाने में,
लोग अपनी गलतियों से फिर भी, क्यूँ नहीं सीखना चाहते हैं इस जमाने में ।


- Devendra Kumar (देवेंद्र कुमार) # वैसे तो लगती हैं कई ठोकरें