कोई तुझ जैसा मिले तो बताना, जिसकी आँखो में सपने हों, बातों में अपने हों, जिसकी उलझीं सीं ज़ुल्फ़ें हों, सुलझीं सी शरतें हों, जिसके तिल का भी रूप खिले, बाहों में छाँव मिले। टकराना है खुदसे नज़रों में उसके, धड़कन भी सुनाईं दें होंठों से जिसके, जिसकी बातें हों सीधी, रातों की परिधि, कट जाए ज़िंदगी कुछ खट्टी कुछ मीठी।। तुम जैसा कोई ना हो।