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White टूटे ग़म ए मकां तो क्या,ठिकाने नहीं हैं साजि

White टूटे ग़म ए मकां तो क्या,ठिकाने नहीं हैं
 साजिशों के अब्र से  अंजाने नहीं हैं

तहज़ीब कि उम्मीद,बेगैरती जमीन पर
इतने भी मासूम नहीं के पहचाने नहीं हैं

आकाश ले जो घूमते हो,ग़ैरती दहलीज़ पर
उनके चेहरे के ताब , अब दिखाने नहीं हैं

बावफा जो हो यहां,चर्चे हैं उसके हर जबां
बाज़फा के नाम के अब,ज़माने नहीं हैं

जिंदगी कि आरज़ू,न ख्वाहिशों कि भेट हो
किस्सा पैमां शिकन को सुनाने नहीं हैं

ताल्लुल अब ना सही,पर वास्ता तो थी 
ख़ुद के गुनाह के, दर्द ए हर्जाने नहीं हैं 
राजीव

©samandar Speaks
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