सप्तम रूप में माँ कालरात्रि पधारीं रूप अनोखा पर कहलाता शुभकारी माँ काली का वाहन है गर्दभ उन्नत दक्षिण भुजा,देती वरद अग्नि ज्वाल श्वास-प्रश्वास से निकले शत्रु, विकार सब सब पल में जलें गले में शोभित वैजंती माला ब्रह्मांड समेटे त्रि नेत्र विशाला आज्ञा चक्र में स्थित हो ध्यान माता देती सबको अभयदान ।। #कालरात्रि