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उम्र भर इक मसीहा की इंतजार करते रहे जो आके हमारी

उम्र भर इक मसीहा की इंतजार करते रहे 
जो आके हमारी दुख भरी जिंदगी बदल सके। 
आया था वो इनसान के वेश में  रब था जो
आम आदमी जान हम ही उसे पहचान न सके। 
दिल खोल के लुटा रहा था वो दौलते मुहब्बत 
कमनसीबी मेरी हम ही दिल खोल न सके। 
औंधे बर्तन में पड़ती कैसे रहमतों की बारिश
बावजूद उसके समझाने के सीधा कर न सके। 
सिर्फ इनसान को मय्यसर है खुदा हो जाना
लाहनत है उस पर जो इसका फ़ायदा उठा न सके। 

 मसीहा
उम्र भर इक मसीहा की इंतजार करते रहे 
जो आके हमारी दुख भरी जिंदगी बदल सके। 
आया था वो इनसान के वेश में  रब था जो
आम आदमी जान हम ही उसे पहचान न सके। 
दिल खोल के लुटा रहा था वो दौलते मुहब्बत 
कमनसीबी मेरी हम ही दिल खोल न सके। 
औंधे बर्तन में पड़ती कैसे रहमतों की बारिश
बावजूद उसके समझाने के सीधा कर न सके। 
सिर्फ इनसान को मय्यसर है खुदा हो जाना
लाहनत है उस पर जो इसका फ़ायदा उठा न सके। 

 मसीहा
ckjohny5867

CK JOHNY

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