उस समय मंगल के वायुमंडल परिस्थितियां प्राचीन पृथ्वी पर उसी समय मौजूद परिस्थितियों के समान थी लेकिन मंगल के जीव पृथ्वी जैसा भाषण बनाने में नाकाम रहे जो उन्हें फलने फूलने और विकसित होने में मदद करता फिर उन्होंने अपना जीवन शुरू होते ही खुद को बर्बाद की तरफ धकेल दिया था वैज्ञानिकों द्वारा अपनाए मॉडल से पता चलता है कि पृथ्वी पर जीवन के पल अपने और मंगल ग्रह पर उनके नष्ट होने की वजह दोनों ग्रहों के भिन्न के संरचना और सोने से उनकी अपेक्षा दूरी है पृथ्वी की तुलना में सूर्य से अधिक दूरी होने के कारण मंगल जीवन के लिए अनुकूल तापमान बनाए रखने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन की धुन पर अधिक निर्भर था यह दोनों ग्रीन हाउस गैसें हैं जो गर्म को जकड़ लेती है प्राचीन मंगल ग्रह के रोगाणुओं ने हाइड्रोजन हजम कर ली और मेथेन का उत्पादन किया ©Ek villain #smoking #मंगल ग्रह पर एक बार फिर कुछ ऐसे सबूत दिखे जिनसे वहां जीवन जीने की आशा जगी है