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ओ एक ठंढ वाली रात थी मेरे हाथों मे तेरी हाँथ थी

ओ एक ठंढ वाली रात थी 
मेरे हाथों मे तेरी हाँथ थी 
मुझे याद है अब भी वो 
दिसम्बर की एक रात थी 

ऊपर वाले को मंजूर नहीं ये बात थी 
इसलिए वो हमारी आख़री मुलाक़ात थी 
मुझे याद है अब भी वो 
दिसम्बर वाली एक रात थी #दिसम्बर वाली इक रात
ओ एक ठंढ वाली रात थी 
मेरे हाथों मे तेरी हाँथ थी 
मुझे याद है अब भी वो 
दिसम्बर की एक रात थी 

ऊपर वाले को मंजूर नहीं ये बात थी 
इसलिए वो हमारी आख़री मुलाक़ात थी 
मुझे याद है अब भी वो 
दिसम्बर वाली एक रात थी #दिसम्बर वाली इक रात
maneesharya5024

maneesh arya

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