थी न कोई उम्मीद मगर,साथ मजबूत सहारे थे। अश्कों की बूंद थी मगर सुकून के किनारे थे, उड़ लेते थे हम भी आसमान में पंख पखारे , काश वो शाम फिर आ जाती जब हम तुम्हारे तुम हमारे थे। ©Ritu shrivastava #बीते_लम्हे