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क्या तशरीह करूं, तेरे शबनमी हुस्न की, ऐ नरगिस ए सु

क्या तशरीह करूं, तेरे शबनमी हुस्न की,
ऐ नरगिस ए सुल्ताना, दैर ए सकून महिसूस होता हैं, तुम्हें देख ने भर से रोज़ी संबरीया
क्या तशरीह करूं, तेरे शबनमी हुस्न की,
ऐ नरगिस ए सुल्ताना, दैर ए सकून महिसूस होता हैं, तुम्हें देख ने भर से रोज़ी संबरीया
mrsrosysumbriade8729

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रोज़ी संबरीया