झिल मिल झिल मिल पत्तों पर आती हो तुम हो क्या जो मुझको भाती हो .छूने पर तुम सरमाती हो धूप होते तुम चल जाती हो तुम न तो नीद हो न होश हो न तुम तो कुदरत के घर से आई चमकती ओस हो न ओस तुम प्यारी हो न्यारी हो