फ़िल्मो और किताबों की झूठी दुनियां। जहाँ हीरो हीरोइन मिलते है यूँ ही किसी अंजान शहर में,पहली नज़र का प्यार कभी, तो कभी पहली तक़रार में छुपे प्यार का इकरार। ज़िक्र होता है हीर रांझे का या रोमियो जूलिएट का। मर मिटते है या मार मिटाते है, बस प्यार के ख़ातिर। कभी पिछले जन्म की अधूरी कहानी तो कभी सदियों की तपस्या। धैर्य कभी तो कभी उत्तेजना से भरा। कभी ख़ुदा से उसकी खुशियां मांगना तो कभी एकतरफ़ा मोहब्बत को अपनी ताक़त बनाना। दुनियां से लड़ जाना या अपनो से भिड़ जाना। त्याग,समर्पण,निःस्वार्थ प्रेम,देख के बस सपना सा लगता है। मन में एक सवाल उठता है," क्या कोई किसी से इतनी मोहब्बत कर सकता है?" शायद सिर्फ़ फ़िल्मों में और किताबों में। ये दुनियां ही मेरे लिए कुछ पल का सुकून है। हो तीन घंटे की फ़िल्म या फिर तीन सौ पन्नों की प्रेम गाथा। इसी दुनियां में रहना पसंद है। इसी भ्रम में रहना अब अच्छा लगता है। हां, मुझे इसी झूठी दुनियां से मोहब्बत है। #झूठी_दुनियाँ #भ्रम #फ़िल्म_और_किताब #yqbaba #yqdidi