बड़े अच्छे रहते थे जब से दूर उनसे रहने लगे कश्मकश का आलम तो देखिये अब तो खुशबू भी, हवायें भी उनकी रहगुज़र हो गई कहीं फिर से वो आवारगी के दिन तो नहीं आ चले के इक रोज़ फिर से हम बर्बाद होने वाले है ✍️सुमित रावल