वो दिन भी हमने देखें हैं, वो रात भी हमने देखी है। बडे़ भाग्यशाली होेते है वो, जिन्हे मरने के बाद भी, चार कन्धे प्राप्त होते हैं। वरना लावारिश लाशें भी हमने देखी है, बिना किसी सहारे के, ठेलीयों से ढुलते शव भी हमने देखे हैं। वो दिन भी........... न जिन्हे पता अपनों का, और न जिन्हे अपनों का पता हैं। ऐसे भाग्य के मारे व्यक्ति, हमने भी बहुत देखे हैं। धन्य समझता हूँ उन्हे, जो लावारिश लाशों को सहारा देते है। अपना न होते हुए भी, अपना उन्हे लेते है। वो दिन भी हमने........ पर सोचता हूँ उनके विषय में, उनका हाल होगा क्या? जिन्होनें जीवित रहते हुए ही, अपनों से मुख मोड़ लिया। जिसने मृत्यु के पश्चात शव को छोड़कर, शव का ही हाल बेहाल किया। और मरे हुए शव के अगुठे से ही, पहले दौलत को अपने नाम किया। सोचता हूँ उनके बारे में.......... ओ... मनुष्य ऐसा कर्म करके तु जाएगा कहाँ, जो शाश्वत सत्य है उसको छोड़कर पाएगा क्या। जब यहा पर आया ही है, तो थोड़ा अपना भी उद्धार कर ले। कही ऐसा न हो कि, मृत्यु के बाद कन्धे तुझे भी न चार मिले।। . . . ✍️✍️✍️.........हेमन्त आर्य.......🙏😊🚩 ©Jai Sanatan #लावारिश_लाश