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ये तेरी भी इल्तिज़ा है जो मिली मुझे सजा है इतनी

ये तेरी भी इल्तिज़ा है 
जो मिली मुझे सजा है 
इतनी खबर है हमको 
इसमे तेरी भी रजा है 
ये षण्यत्रं जो रचा है 
ये रंग मच जो सजा है 
तेरे जिद मे जो भी आया
तो फिर कहां कोई बचा है
ना किया कोई कजा है 
ये मेरी ही खता है 
हद से ज्यादा भरोसा करने का
ये अंजाम मुझे मिला है 
तेरी मेरी कहानी का 
कुछ ऐसा सिलसिला है 
मुरझा गया वो फूल अब 
तो किसी और खिला है
ये तेरी भी इल्तिज़ा है 
जो मिली मुझे सजा है

©कर्म भक्त कवि [आशीष मिश्रा] sad poetry
#Poetry #SAD
ये तेरी भी इल्तिज़ा है 
जो मिली मुझे सजा है 
इतनी खबर है हमको 
इसमे तेरी भी रजा है 
ये षण्यत्रं जो रचा है 
ये रंग मच जो सजा है 
तेरे जिद मे जो भी आया
तो फिर कहां कोई बचा है
ना किया कोई कजा है 
ये मेरी ही खता है 
हद से ज्यादा भरोसा करने का
ये अंजाम मुझे मिला है 
तेरी मेरी कहानी का 
कुछ ऐसा सिलसिला है 
मुरझा गया वो फूल अब 
तो किसी और खिला है
ये तेरी भी इल्तिज़ा है 
जो मिली मुझे सजा है

©कर्म भक्त कवि [आशीष मिश्रा] sad poetry
#Poetry #SAD