बांसुरी छिनाय कहै राधिका मनोहर सों,सिखलाऔ हमहूँकूँ बाँसुरी बजाइबौ। नाच-नाच तानन सों मनन लुभाइबौ यूँ,टेढ़ी टेढ़ी चाल तीखे नैनन चलाइबौ। बाँधि नेह डोर, यूं ही नैनन के छोर, चित-चोर, चहुँ ओर, नेह नीर बरसाइबौ। जानि नहीं पाई,मधुराई,रे कन्हाई!तेरी ,बातन में आई, देख तेरौ मुसकाइबौ।। ✍परेशान✍ ©Jitendra Singh #RADHESHYAM #RADHAMANOHAR #RADHAMADHAW #KISHORISHYAM Rakesh Srivastava Advocate Suraj Pal Singh DELHI