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शख्सियत मे खा़मोशियां कहाँ थी मेरे, इश्क कया हुआ श

शख्सियत मे खा़मोशियां कहाँ थी मेरे,
इश्क कया हुआ शख्सियत बदल गई।
गुज़र जाते थे वक्त बहारों-फिज़ाओं मे,
इश्क मे उनसे बस खामोशियां ही मिली।

©।। दिल की कलम से।।
  खामोशियां

खामोशियां #ज़िन्दगी

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