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मेरा प्रेम पत्र मेरी दूसरी प्रेमिका के नाम इस प्रत

मेरा प्रेम पत्र
मेरी दूसरी प्रेमिका के नाम इस प्रतियोगिता का फायदा किसी ने उठाया है तो सच पूछो मैंने, हां आज वक्त आ गया है आप सबसे अपने दूसरी प्रेमिका को मिलने का। पहली प्रेमिका तो याद जीना वो भूरी, लहराती, इतराती सुगंध वाली चाय☕😂।।
अब कब कमाना शुरू करोगे...
घर के लिए भी तुम्हारा कर्तव्य है कि नहीं...
पता नहीं कब अक्ल आयेगी इसे....
तुम ज़िंदगी में कुछ नहीं कर सकते...
ये तो बानगी उन तानों की जो उस समय समझने की प्रक्रिया में घर भर सुबह शाम परोसता था...अब समझाने के अंदाज़ में कोई कहता तो अच्छा लगता मगर बोलने की शैली कसैली और तीखी होती कि उस समय साधारण सी बात भी ताना लगती।
और अक्टूबर 1980 में आ पहुंचे दिल्ली ...वो शहर जिससे खौफ खाता था, वहीं,होता है यही... बाज़ार में उतरे एक लेबल लगवा कर *तू कुछ नहीं कर सकता* पिताजी ने PF se 20,000 rupaye निकलवा कर दिए मन में पक्का सोचा होगा* ये भी डुबोएगा*
फार्मेसी की थी सबकी इच्छा थी कि केमिस्ट शॉप kholun aur अचानक अशोक विहार में एक दुकान मिल गई... खुल गई दुकान और दिन बीतने लगे
मेरा प्रेम पत्र
मेरी दूसरी प्रेमिका के नाम इस प्रतियोगिता का फायदा किसी ने उठाया है तो सच पूछो मैंने, हां आज वक्त आ गया है आप सबसे अपने दूसरी प्रेमिका को मिलने का। पहली प्रेमिका तो याद जीना वो भूरी, लहराती, इतराती सुगंध वाली चाय☕😂।।
अब कब कमाना शुरू करोगे...
घर के लिए भी तुम्हारा कर्तव्य है कि नहीं...
पता नहीं कब अक्ल आयेगी इसे....
तुम ज़िंदगी में कुछ नहीं कर सकते...
ये तो बानगी उन तानों की जो उस समय समझने की प्रक्रिया में घर भर सुबह शाम परोसता था...अब समझाने के अंदाज़ में कोई कहता तो अच्छा लगता मगर बोलने की शैली कसैली और तीखी होती कि उस समय साधारण सी बात भी ताना लगती।
और अक्टूबर 1980 में आ पहुंचे दिल्ली ...वो शहर जिससे खौफ खाता था, वहीं,होता है यही... बाज़ार में उतरे एक लेबल लगवा कर *तू कुछ नहीं कर सकता* पिताजी ने PF se 20,000 rupaye निकलवा कर दिए मन में पक्का सोचा होगा* ये भी डुबोएगा*
फार्मेसी की थी सबकी इच्छा थी कि केमिस्ट शॉप kholun aur अचानक अशोक विहार में एक दुकान मिल गई... खुल गई दुकान और दिन बीतने लगे