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ताकीद तुमको है नियम में रहो जिस क्रम में कहा जाए

ताकीद तुमको है 
नियम में रहो 
जिस क्रम में कहा जाए 
उसी क्रम मे रहो।

वो मालिके किस्मत हैं 
ज़रा यकीन रखो 
फटी जेब तो जुमला है 
उनकी रहम में रहो।

(पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़ें) कांग्रेसी संस्कृति का भी अजीब हाल है। एक परिवार के इर्द-गिर्द घूमते घूमते बेचारों की ऐसी दशा हो गई है कि उन्हें समझ ही नहीं आ रहा है कि परिवार महत्वपूर्ण रह गया है या देश। कभी फटा कुर्ता दिखाते हैं कभी जनेऊधारी बन जाते हैं। पूर्वजों की विरासत ऐसी की खुद को ही भारत रत्न दे दिया। ऐसी नज़ीर रखी कि उसी तर्ज पर जाने कितने छत्रप बन गए जिनका देश से, जनता से कोई लेना-देना नहीं है। बस अपनी जेब भरनी है और जनता को बांटे रखना है। 
एक छोटा व्यंग्य उसी सोच पर...

ताकीद तुमको है 
नियम में रहो 
जिस क्रम में कहा
ताकीद तुमको है 
नियम में रहो 
जिस क्रम में कहा जाए 
उसी क्रम मे रहो।

वो मालिके किस्मत हैं 
ज़रा यकीन रखो 
फटी जेब तो जुमला है 
उनकी रहम में रहो।

(पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़ें) कांग्रेसी संस्कृति का भी अजीब हाल है। एक परिवार के इर्द-गिर्द घूमते घूमते बेचारों की ऐसी दशा हो गई है कि उन्हें समझ ही नहीं आ रहा है कि परिवार महत्वपूर्ण रह गया है या देश। कभी फटा कुर्ता दिखाते हैं कभी जनेऊधारी बन जाते हैं। पूर्वजों की विरासत ऐसी की खुद को ही भारत रत्न दे दिया। ऐसी नज़ीर रखी कि उसी तर्ज पर जाने कितने छत्रप बन गए जिनका देश से, जनता से कोई लेना-देना नहीं है। बस अपनी जेब भरनी है और जनता को बांटे रखना है। 
एक छोटा व्यंग्य उसी सोच पर...

ताकीद तुमको है 
नियम में रहो 
जिस क्रम में कहा