ऐसे थक के ना बैठो उठो दोस्तों है ये मंजिल तेरी तू उसे पायेगा कामयाबी की शोहरत हो इतनी तेरी पास तेरा मुकाम खुद ब खुद आएगा इश्क ख्वाबो से हो ज़िद जीत की रहे जीतने का मज़ा कुछ अलग आएगा नाप ली ये जमी छु लिया आसमां फिर बचा क्या की जिससे तू घबरायेगा ग़र चाहे तो ये रुक जाये तूफां चाहने से ये जमाना बदल जायेगा तेरे चेहरे पर हो जीत की एक हंसी बाकि पत्थर को भी तू पिघलायेगा मनीष यादव (writer) #जीत_की_ज़िद Vallika Poet Reshma Jabeen Dinesh Mahata Monika Nitin Prajapati