*आंखों में आंसू* तेरी याद हमेशा, रूला जाती है बिटिया। कभी आँखों का पानी, बन बह जाती है बिटिया। हर समय तेरे आने का, एहसास होता है बिटिया। कुछ जालिम मगरूरों ने, डूबो दी है लुटिया। नव पल्लव सी लगती है, इस सकल जहां में बिटिया। आजकल के युवाओं की , सोच हो गई घटिया। क्या इन दरिंदों के घर में, बहन बहू नहीं है बिटिया। इन जालिम मगरूरों की, खड़ी हो जाएगी खटिया। मेरे मन को शांति मिलेगी, तभी काम हो बढ़िया। किसी भी कुल में , जन्म के पहले बुरा ना सोचेगी बिटिया!! स्वरचित एंव मौलिक अधिकार वीररस कवि रामकृष्ण प्रजापति आंखों में आंसू