Nojoto: Largest Storytelling Platform

इक वार इक मजदूर काम पे से थककर आया अपने घर पर तो ब

इक वार इक मजदूर
काम पे से थककर
आया अपने घर पर
तो बिजली चली गयी,
तकिया-बिस्तर बाँध
चढ चला गया छत पर
और सो गया यह कहते,
"बाहर घाव-भीतर तनाव है!"
कि बिजली चली आयी
तो चेहरा हुआ हरा-भरा
तो नीचे उतरा!
दोबारा बिजली चली गयी,
दोबारा तकिया-बिस्तर बाँधे 
छत पर चढा
तो दोबारा बिजली चली आयी।
फिर वह वहीं रह गया छत पर
थे बहुत मच्छर,
जिनका काटना बरकरार था,
जिनके लिए खून पीना ही प्यार था।
यह देख मेरी कविता ने कहा,
"यही मच्छर मालिक हो जाते हैं दिन में,
जो करते हैं शोषण!
काटते हैं सैलरी के सिवा
पेड़-पोधों को
और फैलाते हैं प्रदूषण,
जिसके ज़हर से सबसे पहले
मरते हैं मजदूर।
शेष उच्च वर्गीय लोग कूलर-कार की सहायता से
हो जाते हैं सुरक्षित दूर।
                                             ...by Vikas Sahni #शोषक मच्छरों के रूप में###
इक वार इक मजदूर
काम पे से थककर
आया अपने घर पर
तो बिजली चली गयी,
तकिया-बिस्तर बाँध
चढ चला गया छत पर
और सो गया यह कहते,
"बाहर घाव-भीतर तनाव है!"
कि बिजली चली आयी
तो चेहरा हुआ हरा-भरा
तो नीचे उतरा!
दोबारा बिजली चली गयी,
दोबारा तकिया-बिस्तर बाँधे 
छत पर चढा
तो दोबारा बिजली चली आयी।
फिर वह वहीं रह गया छत पर
थे बहुत मच्छर,
जिनका काटना बरकरार था,
जिनके लिए खून पीना ही प्यार था।
यह देख मेरी कविता ने कहा,
"यही मच्छर मालिक हो जाते हैं दिन में,
जो करते हैं शोषण!
काटते हैं सैलरी के सिवा
पेड़-पोधों को
और फैलाते हैं प्रदूषण,
जिसके ज़हर से सबसे पहले
मरते हैं मजदूर।
शेष उच्च वर्गीय लोग कूलर-कार की सहायता से
हो जाते हैं सुरक्षित दूर।
                                             ...by Vikas Sahni #शोषक मच्छरों के रूप में###
nojotouser4262088293

Vikas Sahni

New Creator