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विचार करके तुझे है बोलना , सभल - सभल कर तुझे है च

विचार करके तुझे है बोलना , सभल -  सभल कर तुझे है चलना । हर  सांचे मै तुझे है ढलना , क्योंकि तू एक बेटी है......। तुझे बड़ी होते ही बबूल के घर जाना है, दूसरे परिवार से रिश्ता तुझे जोड़ना है। पति के साथ है रहना , क्योंकि तू एक बेटी है ......।  पति और उनके परिवार को बनाना है  ,अपनी भावनाओं को दफनाना है . सुबह से लेकर शाम तक उनके खातिर करना है , उन सब लोगों से पल - पल तुझे डरना है , क्योंकि तू एक बेटी है.....।  हमेशा सास, ससुर , पति को तुझे सम्मान देना  बदले मै उनसे कुछ नहीं लेना है । तुच्छ बोल और अपमान भी तुझे ही सहना है ,  क्योंकि तू एक  बेटी है....। मेरी तो ना मायके सा ससुराल है , मेरी हर कदम पर हर किसी की नजर है । मै एक सहनशील नारी जाति हूं । जो सोचती वह कर नहीं पाती , क्योंकि  तू एक बेटी है .........। क्योंकि तू एक बेटी है...।  मेरी भावनाओं को सब ने दिया कुचल क्योंकि   मै एक बेटी हूं ...।।

©Varsha Chaurasia क्योंकि तू एक बेटी है
विचार करके तुझे है बोलना , सभल -  सभल कर तुझे है चलना । हर  सांचे मै तुझे है ढलना , क्योंकि तू एक बेटी है......। तुझे बड़ी होते ही बबूल के घर जाना है, दूसरे परिवार से रिश्ता तुझे जोड़ना है। पति के साथ है रहना , क्योंकि तू एक बेटी है ......।  पति और उनके परिवार को बनाना है  ,अपनी भावनाओं को दफनाना है . सुबह से लेकर शाम तक उनके खातिर करना है , उन सब लोगों से पल - पल तुझे डरना है , क्योंकि तू एक बेटी है.....।  हमेशा सास, ससुर , पति को तुझे सम्मान देना  बदले मै उनसे कुछ नहीं लेना है । तुच्छ बोल और अपमान भी तुझे ही सहना है ,  क्योंकि तू एक  बेटी है....। मेरी तो ना मायके सा ससुराल है , मेरी हर कदम पर हर किसी की नजर है । मै एक सहनशील नारी जाति हूं । जो सोचती वह कर नहीं पाती , क्योंकि  तू एक बेटी है .........। क्योंकि तू एक बेटी है...।  मेरी भावनाओं को सब ने दिया कुचल क्योंकि   मै एक बेटी हूं ...।।

©Varsha Chaurasia क्योंकि तू एक बेटी है

क्योंकि तू एक बेटी है #कविता