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जितने मैंचो में भारत शामिल होता है शायद उनको ही मै

जितने मैंचो में भारत शामिल होता है शायद उनको ही मैं अधिकतर देखना पसंद करता हूं, लेकिन आज एक बतौर निष्पक्ष दर्शक ऑस्ट्रेलिया और अफगानिस्तान कामेश देकर बहुत सीखने को मिला।
 कल ऑस्ट्रेलिया और अफगानिस्तान का मैच देखा, पहले अफगानिस्तान के खिलाड़ियों की बैटिंग देखी, तो यह समझ में आया कि कोई नई टीम भी है, अगर वह समर्पित और टीम के सदस्यों के साथ सामंजस्य बनाकर खेले तो ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के विरुद्ध भी अच्छा स्कोर खड़ा कर सकती है।
 और यह जज्बा अफगानिस्तान का, बोलिंग करते समय भी जारी रहा और ऑस्ट्रेलिया की टीम के 7 खिलाड़ियों को बहुत कम स्कोर में चलता करके, यह दिखा दिया कि ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को भी हराया जा सकता है। अफगानिस्तान की टीम का तादातम्य, समर्पण, जुनून, चपलता देखने लायक थी।
 फिर ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी ग्लेन मैक्सवेल ने, अपना जौहर दिखाना शुरू किया। पहले मैक्सवेल एक बार कैच आउट होने से बचे। एक बार पगबाधा की अपील में भी उन्होंने रिव्यू लिया और वहां भी बच निकले। इन मिले मौको से शायद उन्हें लगा हो कि कोई शक्ति है जो उन पर मेहरबान है।

 फिर ऐसा लगा कि उन्होंने अपने आप को दृढ़ प्रतिज्ञ कर लिया, अपने को एकाग्रचित किया और विरोधियों की कमजोर कड़ी को समझ कर आक्रमण करना शुरू किया। और कई बार आद्रता की वजह से उनके शरीर को, खेल के दौरान परेशानियां भी हुई, लेकिन उनकी एकाग्रता और दृढ़ प्रतिज्ञा
 इतनी ज्यादा थी कि शरीर का दर्द भी उन्होंने नजर अंदाज कर दिया।
 और जिस तरह से उनके साथी खिलाड़ी पेट कमेंस ने भी एक सहयोगी की भूमिका में, उनकी मदद की वह भी सराहनीय था।
 मुझे लगा कि कोई भी इंसान जो जीवन के संघर्षों से गुजर रहा हो, इस मैच से, प्रेरणा लेकर अपना जीवन बदल सकता है।

मैच के बहाने।

©Kamlesh Kandpal
  #Prerna