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भद्रं भद्रं कृतं मौनं कोकिलैर्जलदागमे दर्दूराः य

भद्रं भद्रं कृतं मौनं  कोकिलैर्जलदागमे 
दर्दूराः यत्र वक्तारः तत्र मौनं हि शोभते

वर्षा  के  आरम्भ में, कोयल  होती मौन
सुन मेढक के शोर में, ज्यादा बोले कौन टर्र टर्र
भद्रं भद्रं कृतं मौनं  कोकिलैर्जलदागमे 
दर्दूराः यत्र वक्तारः तत्र मौनं हि शोभते

वर्षा  के  आरम्भ में, कोयल  होती मौन
सुन मेढक के शोर में, ज्यादा बोले कौन टर्र टर्र

टर्र टर्र