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दिन ढली तो रात आयी, कि नजाने कौनसी दास्तान लेकर ये

दिन ढली तो रात आयी,
कि नजाने कौनसी दास्तान लेकर ये खुशी मेरे पास आयी।
गुमनाम था मैं इस शहर में कयी अर्षों से,
फिर भी नजाने किस कदर ये ख़त मेरे चौखट पे आयी।। #खुशी_की_दास्तान
दिन ढली तो रात आयी,
कि नजाने कौनसी दास्तान लेकर ये खुशी मेरे पास आयी।
गुमनाम था मैं इस शहर में कयी अर्षों से,
फिर भी नजाने किस कदर ये ख़त मेरे चौखट पे आयी।। #खुशी_की_दास्तान