जैसे जैसे मिटते जा रहे वो घाव,क्यों चला वाणी का व्यंग्य बाण तुम हरा कर देते हो? ये माता पिता है हमारे,ये जन्मता हैं हमारे,क्यो भूल इनके किये को दुख देते हो? ईश्वरीय स्वरूप हैं करो मान सम्मान इनका,क्यो जरूरत पर इनका सहारा बनते हो? मत नष्ट करो अपनी संस्कृति पूर्वजों की धरोहर को, क्यो इन्हें वृद्ध आश्रम भेजते हो? ये प्रश्न मेरे मन को दिनरात है कुरेदते, कोई दोष नही फिर क्यों ये सजा है पाते? वास्तविकता तो तब नजर आती जब भूत बन वर्तमान में ख़ुद बेसहारे हो जाते। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-122 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।