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यादों के पन्नो से भाग -८ जो गुनाह -ऐ- इश्क़ हम दोन

यादों के पन्नो से भाग -८

जो गुनाह -ऐ- इश्क़ हम दोनो ने किया है ना 
उस  हश्र-ऐ-मुहब्बत की सज़ा मालूम है मुझे,
फिर भी साथ हूँ तेरे ।

तुझे सीने से लगा कर  जो सुकून मिलता है ना,
 इस दिल्लगी की इल्तेजा  मालूम है मुझे,
फिर भी साथ हूँ तेरे ।

चल तो पड़ा है साथ तू गमों भीड़ में  खुशी बनकर,
मगर ता-उम्र, हमसर नही है तू मेरा, मालूम है मुझे,
फिर भी साथ हूँ तेरे ।

नासूर बन जाएंगे ये आज साथ बिताए हसीन पल,
वो मर्ज़ -ए-जुदाई लाइलाज़ है ,मालूम है मुझे ,
फिर भी साथ हूँ तेरे ।
           ✍️रवि शंकर भारद्वाज मालूम है मुझे #Feeling #mylove #lovrforlife #यादो_के_पन्नों_से
यादों के पन्नो से भाग -८

जो गुनाह -ऐ- इश्क़ हम दोनो ने किया है ना 
उस  हश्र-ऐ-मुहब्बत की सज़ा मालूम है मुझे,
फिर भी साथ हूँ तेरे ।

तुझे सीने से लगा कर  जो सुकून मिलता है ना,
 इस दिल्लगी की इल्तेजा  मालूम है मुझे,
फिर भी साथ हूँ तेरे ।

चल तो पड़ा है साथ तू गमों भीड़ में  खुशी बनकर,
मगर ता-उम्र, हमसर नही है तू मेरा, मालूम है मुझे,
फिर भी साथ हूँ तेरे ।

नासूर बन जाएंगे ये आज साथ बिताए हसीन पल,
वो मर्ज़ -ए-जुदाई लाइलाज़ है ,मालूम है मुझे ,
फिर भी साथ हूँ तेरे ।
           ✍️रवि शंकर भारद्वाज मालूम है मुझे #Feeling #mylove #lovrforlife #यादो_के_पन्नों_से