ओ अलबेली, ओ दीवानी ओ चन्द्रकिरण, ओ सुहानी तू नदियों की निर्मलता तू फूलों की कोमलता तू इंद्रधनुष सतरंगी तू लहरों की चंचलता तेरे केश स्वर्ण के धागे तू रूप की है परिभाषा तेरा भाल सुबह की लाली तू मूर्त काम की भाषा तेरे गाल विभा संझा की तू मेरे मन की आशा तेरे अधर हैं मधु के प्याले तू प्रेम है, तू अभिलाषा तेरे नयन है नेह निमंत्रण तू जान, तू मेरी बताशा 😉 मैं पूरा का पूरा तेरा खुद का न रहा जरा सा तेरी यादों से मेरी सांसे कुछ और हुईं है निर्मल तू धड़कन बन जब धड़की तो हुआ हृदय ये निश्छल ओ अनदेखी, अनजानी ओ चंद्रकिरण, ओ सुहानी ओ अलबेली, ओ दीवानी ओ चन्द्रकिरण, ओ सुहानी ©Manaswin Manu #Suhani #roseday #Manaswin_Manu