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दिल लगाना न आया, तुम्हें मनाना न आया..! आया क्रोध

दिल लगाना न आया,
तुम्हें मनाना न आया..!

आया क्रोध का सागर ख़ुद पे,
पर ख़ुदा को डुबाना न आया..!

क्या रखा द्वेष का द्वार सजा कर,
मोहब्बत का ज़माना न आया..!

निकले थे मन बहलाने जो,
प्रेम का पुलिंदा कमाना न आया..!

थक गए इश्क़ की राह तकते तकते,
वो दिलबर दिवाना न आया..!

©SHIVA KANT
  #Hum #dillagananaaaya