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जब बादलों की ओट से, शर्माता नीला आसमान कभी श्वेत

जब बादलों की ओट से, शर्माता नीला आसमान 
कभी श्वेत चूनर ओढ़ता, कभी काग सा रंग लपेटता..

लाज चांद की बदली बन, ले लेता आगोश में 
कभी बादलों के बीच से, सूरज झांका करता..

धूप छांव के खेल में, कभी सूरज हारा करता
दूर छिपकर मुस्कुराता, दामिनी संग नाचा करता..

कलाकार बन फाहों से, रूई के खिलौने बनाता
चित्रकार सा बादलों से, रेखाओं का जाल बुनाता..

बांह फैलाए आसमान में, अंगड़ाई ले ले सोता 
जब उठता तो गड़गड़ाता, उठने की बात बताता..

©Swati kashyap #बादलों_की_ओट

#Sunrise
जब बादलों की ओट से, शर्माता नीला आसमान 
कभी श्वेत चूनर ओढ़ता, कभी काग सा रंग लपेटता..

लाज चांद की बदली बन, ले लेता आगोश में 
कभी बादलों के बीच से, सूरज झांका करता..

धूप छांव के खेल में, कभी सूरज हारा करता
दूर छिपकर मुस्कुराता, दामिनी संग नाचा करता..

कलाकार बन फाहों से, रूई के खिलौने बनाता
चित्रकार सा बादलों से, रेखाओं का जाल बुनाता..

बांह फैलाए आसमान में, अंगड़ाई ले ले सोता 
जब उठता तो गड़गड़ाता, उठने की बात बताता..

©Swati kashyap #बादलों_की_ओट

#Sunrise