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धनिया सा पुरूष चटनी बन जाता है दायित्वों में पिस प

धनिया सा पुरूष
चटनी बन जाता है
दायित्वों में पिस पिस कर
कि कल उसके परिवार को
न हो कोई कमी। #पुरुषदिवस #mensday  #day #पुरुष #दिवस #poetry #poem 
धनिया सा पुरूष
चटनी बन जाता है
दायित्वों में पिस पिस कर
कि कल उसके परिवार को
न हो कोई कमी

✍️Avdhesh kanojia©
धनिया सा पुरूष
चटनी बन जाता है
दायित्वों में पिस पिस कर
कि कल उसके परिवार को
न हो कोई कमी। #पुरुषदिवस #mensday  #day #पुरुष #दिवस #poetry #poem 
धनिया सा पुरूष
चटनी बन जाता है
दायित्वों में पिस पिस कर
कि कल उसके परिवार को
न हो कोई कमी

✍️Avdhesh kanojia©