देखी है तस्वीर बहुत धुंधली उस इश्क की चांद हाथ में थामे परछाई थी वो उजली सी है मुकंबल फिर भी लगती थी बिखरी सी बड़े गौर से देखा तो दिखी बहुत हल्की सी खुद उलझाती रही उसे दूरी और नजदीकी वफाओं की गवाही भी उसने चांद से ली थी वो चांद जिसपर रोज निकलने की पाबंदी नहीं बबली गुर्जर ©Babli Gurjar