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मेरे सारे ग़मों का सबब तू अकेला नहीं है कुछ ये ज़म

मेरे सारे ग़मों का सबब तू अकेला नहीं है
कुछ ये ज़माना भी मेहरबां रहा है मुझ पर

©"अब्र" 2.0
  #GhamKaSabab