शायरी आज फिर बारिश की बूंदें इस तरह बरसी है, जैसे आकाश में धरती से मिलने को तरसी है, प्यार बफा सब धोखा है बारिश की बूंदों ने भी, क्या किसी को रोका है। Meenakshi Sharma धरती को मिलने को तरसी है