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हकीकत: जब थक कर बैठ जाती हूं मैं भीड़ से दूर खुद क

हकीकत:
जब थक कर बैठ जाती हूं मैं
भीड़ से दूर खुद को कहीं तलाशती हूं मैं
कौन अपना है या कौन या पराया
कुछ नहीं यार  बस अपना ही साया
आज कुछ तो कल और कुछ
जिंदगी बस एक  मोह माया है ।

©Dr. H(s)uman , Homoeopath #मोहमाया
हकीकत:
जब थक कर बैठ जाती हूं मैं
भीड़ से दूर खुद को कहीं तलाशती हूं मैं
कौन अपना है या कौन या पराया
कुछ नहीं यार  बस अपना ही साया
आज कुछ तो कल और कुछ
जिंदगी बस एक  मोह माया है ।

©Dr. H(s)uman , Homoeopath #मोहमाया