बाहर निकला जब घर से, तो कुदरत हस रही थी, लौट कर भीतर को आया, तो दीवारें तंज कस रही थी। और ये तो मंजर ही कुछ ऐसा है, कि परिंदा ख़ुद कैद हो जाने को मजबुर है, वरना कल तक शिकारी के ज़ाल में हवाएं फस रही थी।। Arun sharma #nature#loneliness#love#poetry#kavita#instawriters#hindi