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आधी रात ना जग पाता हूँ, ना सो पाता हूँ, खुदमे बस म

आधी रात
ना जग पाता हूँ, ना सो पाता हूँ,
खुदमे बस मैं सिमट जाता हूँ।
वो रात कभी,कभी साँझ सवेरा,
ना दिखता मुझको अपना बसेरा 
खुदसे खुद अब हारता जाऊ,
तानो को बस बुनता जाऊ।
ना अज्ञानी ना ज्ञानी हूँ मैं,
करता ना मनमानी हु मैं।
हाँ होगी सवेर कभी जीवन में,
इस आस को ज़िंदा जगाए हूँ मैं।। #midnightpoems #midnightthoughts #faliure #munasif_e_mirza #poetry
आधी रात
ना जग पाता हूँ, ना सो पाता हूँ,
खुदमे बस मैं सिमट जाता हूँ।
वो रात कभी,कभी साँझ सवेरा,
ना दिखता मुझको अपना बसेरा 
खुदसे खुद अब हारता जाऊ,
तानो को बस बुनता जाऊ।
ना अज्ञानी ना ज्ञानी हूँ मैं,
करता ना मनमानी हु मैं।
हाँ होगी सवेर कभी जीवन में,
इस आस को ज़िंदा जगाए हूँ मैं।। #midnightpoems #midnightthoughts #faliure #munasif_e_mirza #poetry