,नीर बहा कर अँखियों से सब कुछ उसने कह डाला
अवशेष बचा था जो मन में चेहरे से मैंने पढ़ डाला।।
श्रृंगार रसों की कविता में मर्म विरह का घोल दिया
जो राज छुपाये थे उर में बातों बातों मे बोल दिया।।
विरह प्रेम की विधा कठिन है समझाने का प्रयास किया
मिलने की आकांक्षा ने ही हर प्रेमी को निराश किया।। #LoveStory#heartbroken