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नव वर्ण अक्षर पल्लवित हो फूट कर निकसे गगन से, उपवन

नव वर्ण अक्षर पल्लवित हो
फूट कर निकसे गगन से,
उपवन सुगन्धित हो नया
जग का कहीं निर्माण हो,
नैनों से धारा हो प्रवाहित
जग बहें इस धार में।
कुछ वृक्ष पर कुछ डाल पर
फूटें कहीं कोंपल नयी,
तम में कहीं चुपचाप से वो
गीत इक रच दे सृजन का,
अधरों से बहते नाद से 
होता रहे ब्रह्मांड गुन्जित.... नव वर्ण
#yqhindi #yqdidi #yqhindipoetry #kavita
नव वर्ण अक्षर पल्लवित हो
फूट कर निकसे गगन से,
उपवन सुगन्धित हो नया
जग का कहीं निर्माण हो,
नैनों से धारा हो प्रवाहित
जग बहें इस धार में।
कुछ वृक्ष पर कुछ डाल पर
फूटें कहीं कोंपल नयी,
तम में कहीं चुपचाप से वो
गीत इक रच दे सृजन का,
अधरों से बहते नाद से 
होता रहे ब्रह्मांड गुन्जित.... नव वर्ण
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sanu7233911295746

सानू

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