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अपनें होठों से मैनें तेरे लबों को कभी छुंआ नहीं ,द

अपनें होठों से मैनें तेरे लबों को कभी छुंआ नहीं ,दर्द बहुत है जिदंगी में मगर मैं तेरी रूहू के गलें लकर कभी रोआ नहीं ,लेकिन अब खयालों को दुर रखता हुं मैं अपने दिल से कयोंकि खयालों से कभी किसी को कुछ मिला नहीं K.K.S

©Kapil Singh
  कुछ खामोशी के अल्फाज

कुछ खामोशी के अल्फाज #ज़िन्दगी

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