जमाने की फिक्र (लघुकथा) राम और श्याम अपनी इकलौती ब

जमाने की फिक्र (लघुकथा) राम और श्याम अपनी इकलौती बहन श्यामा को बेहद प्यार करते थे दोनों भाई उस पर जान छिड़कने थे वह किसी भी चीज की ख्वाहिश करती थी तो दोनों भाई उसे हर हाल में पूरा करने की कोशिश करते थे बीतते समय के साथ श्यामा ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा वैसे तो श्यामा अपनी जिंदगी की हर एक बात अपने भाइयों को बताती थी। परंतु जब से दोनों भाईयों की शादी हो गई तब से बहन भाई के रिश्ते में थोड़ी सी दूरी आ गई थी जिसे दोनों चाह कर भी नहीं भर पा रहे थे वे ज्यादातर अपनी-अपनी पत्नियों के कहने में ही रहते थे और उन्हीं के कहे अनुसार चलते थे उनकी बातों पर विश्वास किया करते थे और जमाने की फिक्र में उसको बुरा भला कहने लगे जिससे उनके रिश्ते में बहुत सारा खटास आ गई थी
इस तरह की उपेक्षा श्यामा सहन नहीं कर पा रही थी इसलिए उसने धीरे-धीरे अपनी बातें अपने मित्र को बतानी शुरू कर दी उसके मित्र ने उसकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाकर शादी का प्रस्ताव रखा उसे हौसला देने का प्रयास किया तो इसकी दोस्ती को गलत तरीके से समझ कर उसको मारना पीटना भी शुरू कर दिया जो भाई उस पर जान से रखते थे वही आप उसके दुश्मन बन गए थे उसने लाख समझाने की कोशिश की पर वह नहीं माने और अपनी पत्नियों के कहने और जमाने की फिक्र के नाम पर पर उसे घर से यह कहकर निकाल दिया कि जमाने में उनकी नाक कटवा दी है।
श्यामा के मित्र ने उसके साथ शादी कर ली और अब अपनी जिंदगी खुशी खुशी बिता रही है। जमाने की बातों में आकर अपने रिश्तो को नहीं बिगाड़ना चाहिए बल्कि स्वयं अपने रिश्ते पर भरोसा करना चाहिए।

#जमानेकीफिक्र(लघुकथा)
#कोराकाग़ज़
#collabwithकोराकाग़ज़
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जमाने की फिक्र (लघुकथा) राम और श्याम अपनी इकलौती बहन श्यामा को बेहद प्यार करते थे दोनों भाई उस पर जान छिड़कने थे वह किसी भी चीज की ख्वाहिश करती थी तो दोनों भाई उसे हर हाल में पूरा करने की कोशिश करते थे बीतते समय के साथ श्यामा ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा वैसे तो श्यामा अपनी जिंदगी की हर एक बात अपने भाइयों को बताती थी। परंतु जब से दोनों भाईयों की शादी हो गई तब से बहन भाई के रिश्ते में थोड़ी सी दूरी आ गई थी जिसे दोनों चाह कर भी नहीं भर पा रहे थे वे ज्यादातर अपनी-अपनी पत्नियों के कहने में ही रहते थे और उन्हीं के कहे अनुसार चलते थे उनकी बातों पर विश्वास किया करते थे और जमाने की फिक्र में उसको बुरा भला कहने लगे जिससे उनके रिश्ते में बहुत सारा खटास आ गई थी
इस तरह की उपेक्षा श्यामा सहन नहीं कर पा रही थी इसलिए उसने धीरे-धीरे अपनी बातें अपने मित्र को बतानी शुरू कर दी उसके मित्र ने उसकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाकर शादी का प्रस्ताव रखा उसे हौसला देने का प्रयास किया तो इसकी दोस्ती को गलत तरीके से समझ कर उसको मारना पीटना भी शुरू कर दिया जो भाई उस पर जान से रखते थे वही आप उसके दुश्मन बन गए थे उसने लाख समझाने की कोशिश की पर वह नहीं माने और अपनी पत्नियों के कहने और जमाने की फिक्र के नाम पर पर उसे घर से यह कहकर निकाल दिया कि जमाने में उनकी नाक कटवा दी है।
श्यामा के मित्र ने उसके साथ शादी कर ली और अब अपनी जिंदगी खुशी खुशी बिता रही है। जमाने की बातों में आकर अपने रिश्तो को नहीं बिगाड़ना चाहिए बल्कि स्वयं अपने रिश्ते पर भरोसा करना चाहिए।

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