अंजान एक दूसरे से, पर कविताओं से हमारी पहचान बनी है, आप पर लिखी हुई, शब्दों से मेरी ये पहली कविता बनी है। शब्द अलंकृत ऐसे, पढ़ते समय फिर ना कभी उंगलियां रुकी, लिख दे हम भी आप पर पंक्तियां, बस इतना ही समझ सकी। कविताओं का तोड़ नही कोई, लेखनी को आपने सजाया है। चुन चुन कर अपनी भावनाओं को, अपने शब्दों में उतारा है।। व्यक्तित्व सरल, अंदाज निराला, कम समय में पहचान बनाया। अपनी व्यवहार तो कभी कविताओं से, दिलों में स्थान पाया।। Dedicating a #testimonial to A LKH