“ कभी कफन को तरसे कभी दफन को तरसे फूल है हम इस गुलिस्तां के और हम ही इस चमन को तरसे ” •Gazali!. #SaveKashmir —@फ़कीर मुआविया ज़फ़र ग़ज़ाली “रज़वि नूरी क़ादरी अमरोहिवी”