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ताज महल नया बन भी जाता अब फनकार की क्यूं काटी उंगल

ताज महल नया बन भी जाता अब
फनकार की क्यूं काटी उंगलिया तब

कुर्बान वतन पर होती रही है जां
इश्क की छाह में है सारा जहां
 इश्क वतन मेरा इश्क जहां
कुर्बान इश्क मेरा वतन पर जां
ताज महल नया बन भी जाता अब
फनकार की क्यूं काटी उंगलिया तब

कुर्बान वतन पर होती रही है जां
इश्क की छाह में है सारा जहां
 इश्क वतन मेरा इश्क जहां
कुर्बान इश्क मेरा वतन पर जां
kamal6300749650586

Kamal

New Creator

इश्क वतन मेरा इश्क जहां कुर्बान इश्क मेरा वतन पर जां